रितु मेरे मालिक की सबसे छोटी बेटी है और क्लास 11 में पढ़ती थी, वो बहुत सुन्दर थी और पतली लम्बी सी थी। मेरे मालिक की बस 3 बेटिया थी लड़का कोई नहीं था, मालिक के बेटी की चुदाई करना मेरे लिए ज़िंदगी का सबसे बड़ा तोहफा था क्युकी किसी घर में नौकर की बस इतनी ही औकाद होती है की दूर दूर से देख सकता है।
मैं शर्मा जी के यहाँ फुल टाइम नौकर था , और घर के छोटे से बाद सरे काम मै ही करता था। मेरे लिए सबसे मज़ा ये था की घर में तीन लड़किया था और छोटे छोटे कपड़ो में घूमती रहती थी, दीदी लोग तो कभी बिना ब्रा के भी रहती थी।
उनके निप्पल्स को टॉप के अंदर से देखके मेरा लौड़ा खड़ा जाता था , और मैं बाथरूम में जाके दीदी लोगो के नाम की मुठ मरता था। बहुत मज़े में ज़िंदगी गुज़र रहा था, और कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मालिक के बेटी की चुदाई का मौका मिल पायेगा कभी।
दीदी और रितु लोग भी मुझे मानते थे लेकिन नौकर के जितनी ही इज्जत थी।
रितु काफी लम्बी थी , और पतली भी लेकिन उसकी चूचिया बड़ी बड़ी थी और नुकीली भी। उसकी चूचिया देखके मन में आता था की रितु के बूब्स को रगड़ डालू।
बड़ी दीदी भी अक्सर अपने किसी दोस्त राहुल को घर पे बुलाती रहती थी , और दरवाजा बंद करके पता नहीं क्या काम करती थी। मुझे तो लगता है की राहुल भी मोनी दीदी को चोदता होगा।
रितु शार्ट स्कर्ट और शर्ट में स्कूल जाती थी, उसकी स्कर्ट छोटी थी , कभी कभी जब मै पूछा लगा रहा होता था तो मुझे रितु की पैंटी दिख जाती थी स्कर्ट के अंदर।
हुआ ऐसा एक दिन की मालकिन ने कहा की जाओ रितु का रूम साफ़ कर आओ , संडे का दिन था तो रितु रूम में ही थी।
मैं रूम में घुसा तो देखा की रितु ने अपने स्कर्ट के अंदर हाथ डाल रखा है और हिला रही , जैसे ही मैं अंदर आया उसने झट से हाथ बहार निकल लिया , और बोली की क्या हुआ?
मैंने कहा की दीदी मालकिन ने कहा की रूम साफ़ करदो, वो गुस्से में बोली की नहीं साफ़ करना है रूम। जाओ तुम यहाँ से और नेक्स्ट टाइम बिना दरवाजा नॉक किया कभी अंदर मत आना।
उसने मुझसे बहुत बतमीज़ी से बोला, मुझे बहुत गुस्सा आयी लेकिन मेरी इतनी औकाद नहीं थी की मै उससे कुछ कह पाउ।
उस दिन के बाद से रितु मुझसे चिढ गयी , मै पोछा लगता तो वापस से गन्दा कर देती फर्श। मुझसे हर टाइम बतमीज़ी से बात करने लगी।
मुझसे एहसास दिलाने लगी की गरीब होना कितना बड़ा गुनाह है।
मेरा खून खौल रहा था , मैंने भी सोच लिया की अब कुछ भी करके मालिक के बेटी की चुदाई तो करना ही है। लेकिन ये इतना बड़ा सपना था की सच होता नहीं दिख रहा था , अगर मै रितु का हाथ भी टच कर लेता तो जेल जा सकता था।
मैं रितु को सोच के डेली अपना लौड़ा हिलने लगा। सपने में तो रितु की चुदाई मै कई बार कर ही चूका था। अब मुझे मौका चाइये था की कैसे मालिक के बेटी के चूत में लंड डालू।
मैं मोनी दीदी के रूम में झाड़ू लगा रहा था तब मैंने देखा की रितु के रूम की खिड़की खुली हुई है , मैंने जब खिड़की के अंदर झाका तो देखा की रितु अपना स्कर्ट में हाथ डाल के कुछ हिला रही है।
अब मै समझ गया की रितु फिंगरिंग कर रही है , अपने ऊँगली से चुदाई का मज़ा ले रही है। मैंने सोचा ये माँ की लौड़ी ऊँगली से चुद रही है। इससे अच्छा मुझसे एक बार कह देती , इसे ऐसा चोदता की साडी काम वासना दूर हो जात।
अब मै सही वक़्त का इंतज़ार करने लगा। कुछ दिन बाद ऐसे ही मुझे फिर से मौका लगा जब रितु अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी , मैंने अपना मोबाइल निकला और वीडियो बना लिया।
अब वो वीडियो देख देख के मुठ मरता और गज़ब का मज़ा लेता। मै रितु की चूत को सूंघना चाहता था उसके आगे में चूत से अलग ही खुसबू आती होगी ये सोचके मै सपने देखता।
जब मै ड्रइंग रूम में पोछा लगा रहा था तो रितु पेअर ऊपर करके बैठी हुई थी, उसके स्कर्ट के अंदर से चड्ढी दिख रही थी , मैं हलके हलके से काम कर रहा था और तिरछी नजरो से उसकी चड्ढी देखके फील ले रहा था।
मैंने कहा की दीदी मालकिन ने कहा की आज आपका रूम सही करना है , रितु बोली ठीक है जाओ रूम खुला है। मैं वह सफाई कर रहा था थोड़ी देर बाद वो भी आ गयी और बोली की मैं सोने जा रही हु , जाते वक़्त लाइट एंड दरवाजा बंद करते जाना।
मैंने कहा ठीक है दीदी और अपने काम में लग गया।
रितु सोते हुए बहुत सुन्दर लग रही थी , मेरा उसके रूम से जाने का मन ही नहीं हो रहा था।
जब वो सांसे ले रही थी तो उसकी चूचिया ऊपर नीचे हो रही थी , उसकी चुचिओ के साथ मेरा लंड भी एक डैम टाइट होता जा रहा था।
मेरे अंदर जानवर आ रहा था और लग रहा था की रितु को चोद डालू आज। डर बहुत लग रहा था लेकिन कामवासना बहुत बढ़ रही थी , मैं उसके बगल में बैठ गया और उसके बूब्स को पास से देखने लगा।
ओह , क्या बताऊ उसके बूब्स को करीब से देखके मेरे अंदर आग लग रही थी , मैं नीचे गया और उसके स्कर्ट के अंदर झाकने की कोसिस करने लगा , मैंने दूर दूर से उसके स्कर्ट को सूंघना सुरु कर दिया , मैं दूर दूर से उसके चूत को सूंघ रहा था।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने उसके स्कर्ट को हल्का सा ऊपर कर दिया धीरे से। अब उसकी वाइट पैंटी मेरे सामने थी। आह। मैं थोड़ा उसके पास से गया और पास से सूंघा। उस सुगंध ने मेरे तन मन में सेक्स की जवाला भड़का दी। मैं सूंघता रहा।

Antra ke Choot ki pyas mitayi
मेरे मन में आ रहा था की उसकी चूत को चाट चाट के आज लाल कर दू , लेकिन वो जग जाती तो मै पक्का ही जेल जाता और मै इतना गरीब था की वह से कोई छुड़ाता न।
तो मैंने दूर दूर से ही मज़े लेने का फैसला किया। मैं स्कर्ट नीचे कर रहा था तो सोचा थोड़ा और सूंघ लेता हु, और जैसे ही मैंने सूंघा मैं बेकाबू हो गया।
मुझे पता नहीं क्या हो गया और अचानक मैंने उसकी पैंटी उतर के मुँह घुसेड़ दिया चूत में। और उसकी चूत को चाटने लगा , उसे कुछ लगा और उसकी आंखे खुल गयी।
रितु ने मुझे लात मारा और चिल्लाने लगी , मैंने उसका मुँह दबा लिया और बोला की दीदी माफ़ करदो गलती हो गयी। लेकिन मैंने उसका मुँह नहीं खोला वरना वो सबको बता देती चिल्ला के।
मैंने बोला तुझे बताना है तो बता देना सबसे लेकिन ये देख तेरी कोई वीडियो हैं मेरे पास , और उसे वो वीडियो दिखाई। और कहा की अगर अभी भी तुम्हारे मुँह से आवाज़ निकली तो पुरे सोशल मीडिया पे और तुम्हारे कॉलेज फ्रेंड सबके पास ये वीडियो जाएगी।
ये कहके मैंने धीरे मुँह खोला , अभी वो गुस्से में थी लेकिन चिल्ला नहीं रही थी। मुझसे बोली की इसे डिलीट करदो और चले जाओ यहाँ से, आजसे अपनी गन्दी गरीब शकल मुझसे कभी न दिखाना।
मैंने उसकी गर्दन दबाते हुए उसे दीवार से सत्ता दिया , और बोला की अभी कहा मादरचोद। बहुत परेशान किया है तुमने। जब तक तुम्हारी कुवारी चूत को चोद चोद के चेहरा नहीं बना दिया तो मैं नहीं जाऊंगा।
रितु – देखो मुझे गुस्सा मत दिलाओ , तुम अपनी औकाद में रहो। यहाँ से चले जाओगे तो सही रहेगा वरना पूरी ज़िंदगी जेल में सड़ोगे तुम।
मैं – ठीक है अपनी भी सोच लो किस मुँह से स्कूल जाओगी , जब पूरी दुनिआ देखेगी की तुम चूत में ऊँगली डालके कैसे छुड़वा रही हो खुदको।
इतना कहते हुए मैंने अपने हाथ उसके स्कर्ट में डालके उसकी चूत को रगड़ने लगा। उसकी गर्दन को चाटने लगा।
वो मुझे धक्के देने की कोसिस कर रही थी लेकिन उसके अंदर इतनी ताक़त नहीं थी की ऐसा कर पाए। मैंने कहा की तुम कुछ नहीं कर पाओगी अच्छा रहेगा की मेरा साथ दो और चुदाई के मज़े लो।
रितु – कभी नहीं। तुम २ कौड़ी के नौकर हो तुम्हारी इतनी औकाद की मेरे साथ सेक्स करने के सपने देखते हो।
मैंने उसको बेड पे गिरा लिया उसकी टीशर्ट को एक हाथ से ऊपर करके उसके निप्पल्स को मुँह में भर लिया और दूसरे हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगा।
वो चाह के भी मुझसे छुड़ा नहीं पा रही थी। मैं उसके चूचियों को चूस रहा था और अपने सपने को पूरा कर रहा था।
उसे लग गया की अब उसके बस की बात नहीं है मुझसे छूट पाना तो अब उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया, अब मै उसके ऊपर चढ़ गया और स्कर्ट को निकल दिया।
मैंने उसकी चूत को चेतना सुरु कर दिया , वाह क्या टेस्ट था , शब्दों में बता पाना मुश्किल है। उसकी दोनों टांगो को मैंने खोल दिया और चूत की फांको को बड़ा करके जीभ बहुत अंदर तक डाल दिया।
अब रितु को भी मज़ा आने लगा था , उसने मेरे सर को चूत में अंदर घुसेड़ लिया।
रितु – चाट कुत्ते इसे। बहुत पागल हो रहा ह न तू मेरे चूत के लिए तो ले चाट ले इसे। आह उह आआह , चाट सेल मादरचोद कुत्ते की औलाद।
मैंने उसे सीधा किया और उसकी गाड़ पे चाटे मारे वो बोल कुत्ते दर्द हो रहा है , मैंने कई चाटे मारे और अपना बदला लिया।
मैंने उसकी गाड़ को चाटा , और सीधा करके अपना लंड उसके मुँह में देने लगा।
रितु लंड चूसने को तैयार नहीं थी। मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में लंड डाल दिया, मैं उसके मुँह को चोद रहा था उसने मुझे धक्का दे दिया।
अब मैंने उसको लेटाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसने कभी किसी से सेक्स नहीं किया था इसलिए तेज़ से चिल्ला दी मैंने तुरंत मुँह बंद कर लिया।
मैंने धीरे धीरे से उसकी चुदाई करना सुरु किया , उसकी चूत को मैंने भोसड़ा बनाया। आह। मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दिन था और मैं उसे और चोदना चाहता था लेकिन नीचे मालकिन मुझे आवाज़ देने लगी।
मैं नीचे जाने लगा और उससे कहा की अब थोड़ा कायदे से रहना वरना ऐसे ही चुदाई के लिए तैयार रहना।
वो अब जब भी मुझसे बतमीज़ी से बात करती है तो मौका मिलने पे मै उससे कुतिया बना के चोदता हु , वो चाहती है की मै उसे चोदू, खुद से नहीं कहती लेकिन ऐसी हरकत कर देती है जिससे मुझसे गुस्सा आ जाती है।
मैं बहुत किस्मत वाला हु की चार चूत के बीच में रहता हु , मन तो मेरा मोनी दीदी को चोदने का भी बहुत होता है लेकिन पता नहीं है की कभी मालकिन के बेटी की चुदाई करने का मौका कब और कैसे मिलेगा लेकिन शायद मिले जल्दी कभी।
चलो दोस्तों आप बताओ की मेरी कहानी मालिक के बेटी चुदाई कैसे लगी, मैं जा रहा रितु दीदी का रूम साफ़ करने।